मै इतिहास के पन्नो को देख कर ये सोचने पर मजबूर हो जाता हूँ, कि कैसे होगे वो दिन जब अंग्रेज अपने गुलामी कि जंजीर में जकड कर सारे हिन्दुस्तानियों पर राज करते थे. इस अंग्रेजी दास्ता को मेरा गाँव-दोमाठ, थाना- तरया सुजान, तहसील- तमकुहीराज, जिला- कुशीनगर,उत्तर प्रदेश बयाँ करता है. यहाँ अंग्रेज नील कि खेती करते थे.उस खेत को लोग जिरात कहते है.
यहाँ पर नील कि फैक्ट्री भी है. जिसकी स्थापना लगभग १८६५ में हुई थी.उस नील कि फैक्ट्री के अवशेष आज भी है. उनकी बनायीं हुई कोठी जिसे बंगला कहते थे आज भी मौजूद है.मेरे पास मेरे गाँव के नील कि फैक्ट्री का पुराना फोटो है.मै कोशिश कर रहा हूँ कि और ज्यादा से ज्यादा जानकारी हासिल करू.श्री नगीना यादव जो नील कि खेती कि दास्ता बताते है. वो दोमट के ग्राम प्रधान १९६७ से है.
धन्यवाद
हरिकेश कुमार यादव
०९९८८९९९४३२
4 comments:
mai yese hi jankari deta rahunga.
Abe yadav ke bacche tu bada scientist ho gya neel ki kheti ka.
Angrej to chale gye per tujhe chod gye neel ki kheti k liye. .... NEElE...
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